World Population Day 2022 | आठ अरब हो गई दुनिया की आबादी Latest News The world’s population has reached eight billion

आज विश्व जनसंख्या दिवस-2022 (World Population Day 2022) मनाया जा रहा है। हर साल 11 जुलाई को यह दिन मनाया जाता है। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, इस साल विश्व की आबादी करीब 8 अरब हो गई है।
पिछले साल यह साढ़े सात अरब से अधिक हो गए थी।
पहले यह दिन एक उत्सव व जश्न के रूप में मनाया जाता था और निरंतर विकास की दुआ दी जाती थी। हालांकि, अब लगातार बढ़ रही आबादी के कारण यह दिन चिंता का विषय बन गया हैं। जागरूकता फैलाने का अवसर बन गया है।
इस साल की वर्ल्ड पॉपुलेशन डे थीम भी इसी पर आधारित है। इस दिन पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए तरह-तरह से उपायों से लोगों को परिचित कराया जाता है।
इसके अलावा परिवार नियोजन के मुद्दे पर भी बातचीत की जाती है। इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक करने की कोशिश तो यही की जा रहे हैं, ताकि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सके।
इस वर्ष की यह है थीम
इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस की थीम ‘8 अरब लोगों की दुनिया: सभी के लिए लचीला भविष्य, अवसर, अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना’ है।
इस थीम से स्पष्ट हो रहा है कि दुनिया की आबादी आठ अरब के आस पास पहुच गए है और यह चिंता का विषय हैं , लेकिन यह अधिकारों व अवसर की समानता को दूर करता है।
पिछले साल यह थी थीम

विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम ‘कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव’ करने वाली थी। विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल (UNDP) द्वारा की गई थी।
पांच अरब होते ही होने लगी थी चिंता
विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की प्रेरणा ‘Five Billion Day’ से आई थी। फाइव बिलियन डे 11 जुलाई, 1987 को मनाया गया था। तब दुनिया की आबादी पांच अरब के पार पहुंच गई थी।
तब संयुक्त राष्ट्र ने इस पर पहली बार चिंता प्रकट की थी। तब से संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने और परिवार नियोजन को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने की शुरुआत करते हुए विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत की।
क्यों मनाते हैं यह दिन
दरअसल, लगातार बढ़ रही जनसंख्या दिवस पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारन बन गया हैं। अतीत में यह वरदान था, लेकिन अब अभिशाप बन गया हैं। इसके कारण बेरोजगारी, भुखमरी, अशिक्षा जैसी समस्याएं विकराल रूप ले चुकी हैं।
इसलिए इस पर नियंत्रण को अब सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाने लगी है। दुनियाभर में इस दिन परिवार नियोजन, गरीबी, लैंगिक समानता निरक्षरता, नागरिक अधिकार, मां और बच्चे का स्वास्थ्य, गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल जैसे तमाम पहलुओं पर मंथन किया जाता है।
इतिहास
1989 में यूनियाइटेड नेशंस की डेव्लपमेंट प्रोग्राम (UNDP) की गवर्निंग काउंसिल ने 11 जुलाई, 1987 को 5 बिलियन जनसंख्या होने पर देखी गई रुचि के चलते विश्व जनसंख्या दिवस मनाना शुरू कर दिया था.
UN जनरल असेंबली ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें यह फैसला लिया गया कि जनसंख्या से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता फैलाने और पर्यावरण विकास से जोड़ते हुए विश्व जनसंख्या दिवस हर साल मनाया जाएगा.
पहली बार 11 जुलाई, 1990 में 90 से ज्यादा देशों में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया हैं. इस दिन से देशों में स्थित UNFPA ऑफिस सरकार और सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर विश्व जनसंख्या दिवस का आयोजन हर साल किया जाता हैं।

महत्व
विश्व जनसंख्या दिवस के महत्व (Significance) की बात करें तो यह दिन जनसंख्या अत्यधिक बढ़ जाने के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को जागरूक किया गया हैं, साथ ही जनसंख्या किस तरह पारिस्थितिकी तंत्र और मानवता की प्रगति को प्रभावित करती है इसपर भी प्रकाश डालता है.
बढ़ती आबादी को लेकर क्या हैं भारत की चिंताएं
विश्व जनसंख्या दिवस के परिप्रेक्ष्य में भारत की चिंता बेमानी नहीं है, क्योंकि भारत के पास दुनिया का सिर्फ 2.4 प्रतिशत भूभाग है, और दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है.
आंकड़ों के अनुसार साल 2001 और 2011 की जनगणना के बीच देश में करीब 18 प्रतिशत आबादी बढ़ी है. संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक अगर भारत की आबादी इसी दर से बढ़ती रही, तो 2027 के आसपास भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा.
अगर ऐसा हुआ तो देश में और भी बड़े पैमाने पर खाद्यान संकट, बेरोजगारी संकट, चिकित्सा और स्वास्थ्य संकट, जल सकंट खड़ा हो जाएगा. लोग पलायन, भुखमरी से बेहाल हो जाएगे. प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने से भयानक प्राकृतिक आपदाओं का खतरा पैदा हो जाएगा।