MiG-21 Crash बाड़मेर के पास हादसे में वायुसेना के दो पायलटों की मौत
राजस्थान के बाड़मेर के पास गुरुवार रात भारतीय वायु सेना (IAF) के दो पायलटों की मौत हो गई, जब उनका ट्विन-सीटर मिग -21 ट्रेनर विमान एक प्रशिक्षण उड़ान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान उतरलाई हवाई अड्डे से उड़ान भर रहा था।
हादसा रात करीब 9:10 बजे हुआ। MiG

IAF द्वारा विकास की पुष्टि की गई थी। बयान में कहा गया, “रात करीब 9:10 बजे, बाड़मेर के पास विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दोनों पायलटों को घातक चोटें आईं। भारतीय वायुसेना को जान गंवाने का गहरा अफसोस है और शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा है।
राजनाथ सिंह ने जताया शोक
वायुसेना ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए हैं। IAF ने अभी तक दोनों पायलटों के नाम नहीं बताए हैं। MiG
सोवियत मूल के मिग -21 के पुराने बेड़े 1960 के दशक की शुरुआत में अपने पहले शामिल होने के बाद से लगभग 200 दुर्घटनाओं में शामिल रहे हैं। मिग-21 लंबे समय तक भारतीय वायुसेना का मुख्य आधार रहे थे।
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट ने मार्च में राज्यसभा में कहा कि पिछले पांच वर्षों में विमान और हेलीकॉप्टर से जुड़े हादसों में 42 रक्षा कर्मियों की मौत हुई है। उस अवधि में 45 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें से 29 में वायुसेना शामिल है।

शोक संतप्त परिवारों के साथ मजबूती से खड़ी है वायुसेना
भारतीय वायुसेना ने कहा कि विमान गुरुवार शाम को राजस्थान के उतरलाई हवाई अड्डे से प्रशिक्षण के लिए रवाना हो गया था। रात करीब नौ बजकर 10 मिनट के आस – पास बाड़मेर के पास वह क्रैश हो गया।
इसमें दोनों पायलट वीरगति को प्राप्त हो गए हैं। सेना ने इस पर अफसोस बनाया हैं। हालांकि, उसने दोनों पायलटों के नाम नहीं बताए हैं। सेना ने कहा है कि वह पायलटों के शोक संतप्त परिवारों के साथ मजबूती से खड़ी है।
इसके साथ ही हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए जांच करने के आदेश दिए हैं।
सबसे पहले जानते हैं मिग-21 के बारे में
मिग-21 को मिकोयान गुरेविच भी कहते हैं। यह सोवियत काल के उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है। सोवियत यूनियन (वर्तमान में रूस) की मिकोयान कंपनी इसका निर्माण करती थी।
इसने अपनी पहली उड़ान साल 1955 में भरी थी और इसे आधिकारिक रूप से साल 1959 में सेना में शामिल किया गया था। इस विमान के निर्माण के पीछे मुख्य वजह सोवियत संघ और पश्चिमी देशों के बीच प्रतिद्वंदिता थी। MiG
सोवियत संघ इसके जरिए अमेरिका और उसके सहयोगी नाटों देशों को जवाब देना चाहता था।
क्या है विमान की खूबी ?
मिग-21 विमान को भारतीय वायुसेना के पहले सुपर सोनिक विमान के नाम से जाना जाता था। यह विमान ध्वनि की गति से तेज उड़ने की क्षमता रखते हैं।
इसका इस्तेमाल दुनिया भर के 60 से अधिक देशों ने किया है। भारत के लिए भी कई अहम मौके पर मिग-21 ने गेंमचेंजर की भूमिका निभाई है। 1965, 1971 और 1999 में पाकिस्तान से लड़ाई में इस विमान ने अहम भूमिका निभाता हैं।
विमान की खामियां
विमान अपने आप में एक ऐतिहासिक किस्म का विमान है, लेकिन आधी सदी से अधिक पुराने हो जाने के कारण यह आधुनिकता की दौर में काफी पीछे छूट गया है।
भारतीय वायु सेना इसके सबसे उन्नत किस्म मिग-21 बाइसन का इस्तेमाल करती है। इसे अत्याधुनिक बीवीआर मिसाइल से लैस किया जा सकता है। हालांकि, सभी सकारात्मक बातों के बीच आधुनिक दौर में लड़ाकू विमानों में इंजन की तकनीक सबसे ज्यादा मायने रखती है और मिग-21 विमानों की इंजन तकनीक अब काफी पुरानी हो चली है। MiG

इसके अलावा विमान का डिजाइन और फ्रेम भी पुराने जमाने का है। इस विमान को रूस ने 1985 में ही रिटायर कर दिया था। इसके अलावा ज्यादातर उपयोगकर्ता देश भी इसे रिटायर कर चुके हैं।